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आराधना
आराधना
प्रकाशक :
सरल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2011 |
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
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पुस्तक क्रमांक : 8338
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आईएसबीएन :0 |
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2 पाठकों को प्रिय
248 पाठक हैं
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
मन का समाहार
मन का समाहार
करो विश्वाधार।
गहन कण्टक-जटिल
मग चले पग निखिल,
गया है हृदय हिल,
लो थके को वार।
कोई नहीं और,
एक तुम हो ठौर,
दूर सब जन पौर,
भव से करो पार।
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