अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
पार-पारावार जो है
पार-पारावर जो है
स्नेह से मुझको दिखा दो,
रीति क्या, कैसे नियम,
निर्देश कर करके सिखा दो।
कौन से जन, कौन जीवन,
कौन से गृह, कौन आँगन,
किन तनों की छाँह के तन,
मान मानस में लिखा दो।
पठित या निष्पठित वे नर,
देव या गन्धर्व किन्नर,
लाल, पाले, कृष्ण धूसर;
भजन क्या भोजन चिखा दो।
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