अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
पल-प्रकाश को शाश्वत कर
पल-प्रकाश को शाश्वत कर!
हरित् हृदय पर मन्द उतर!
आँखों में चितवन, चित में सित
अमृत, अधर में सुधा-धार-स्मित,
पग में गीत, जय-जीवन वाञ्छित;
अलख अकिञ्चन कर डम्बर!
निखिल पलक देखें अस्मित-तन,
दृग भावों के वारि-विमोचन;
हृदय-हृदय में नन्दन-स्पन्दन;
हर नश्वर, दे सत्त्व अमर!
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