अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
जावक-जय चरणों पर छायी
जावक-जय चरणों पर छायी।
पलक-पलक डाल कलियायी।
थोक अशोक-कौकनद फूले,
मधु के मद भौंरे दिक् भूले,
मानव के मन जीवन तूले,
ऋत की ऋतु अवनी भर आयी।
पावक-पाश दिगन्त बँधा है,
अग-जग जैसे अडग सधा है,
सुषमा में सुख-रूप धँधा है,
नभ में नयन-मुक्ति मडलायी।
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