अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
बाँधो रस के निर्झर
बाँधो रस के निर्झर
अम्बर के सर सुस्तर।
फूटे किल कनक-भास—
रवि-शशि-उडुगण-प्रकाश,
विद्युच्छबि मन्द हास,
पृथ्वी पर पट-विस्तर।
क्षिति-जल-तल ताल सुकर,
गान प्रभञ्जन सुर-स्वर,
खग-कुल-कल-तान मुखर,
संग रंग में जलचर।
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