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आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338
आईएसबीएन :0

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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



मेरा फूल न कुम्हला पाये


मेरा फूल न कुम्हला पाये,
जल उलीचकर, मूल सींचकर
लौटे तुम तरु-तरु के साये।

तले मोर नाचे, डाली पर
चहके खग प्राणों से खुलकर,
नभ-चारण के स्वर मडलाये।

लौटी ग्राम-वधू पनघट से,
लगा चितेरा अपने पट से,
बँधी नाव हिलती है तट से,
कवि के अग्नि-प्राण उकताये।

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