अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
सूने हैं साज आज
सूने हैं साज आज
बिना तुम्हारे विराज।
तूलि-तूलि के सुस्वर
गीत धूलि में धूसर,
वाणीमय, मरु, प्रान्तर,
छई है विषण्ण लाज।
दिग्वधू निराश, दीन
अम्बर पीवर, सुपीन,
नारि-नयन-ज्योति क्षीण
क्षिति पर जैसे जहाज।
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