अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
छलके छल के पैमाने क्या
छलके छल के पैमाने क्या!
आये बेमाने माने क्या!
हलके-हलके हल के न हुए,
दलके-दलके दल के न हुए,
उफले-उफले फल के न हुए,
बेदाने थे तो दाने क्या?
कट रहा जमाना कहाँ पटा?
हट रहा पैर जो कहाँ सटा?
पूरा कब है जब लगा बटा
रुपया न रहा तो आने क्या?
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