अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
हिम के आतप के तप झुलसो
हिम के आतप के तप झुलसो,
नाम-वारि के वारिद हुलसो।
भीगे कठिन धरा निष्पावन,
चले चतुर्दिक हल अभिभावन,
बोये बीज सीझकर उलसो।
बढ़ें नये पौधे लह-लहकर,
पुरवाई के झोंके, सहकर,
थके नयन सधन-धन गहकर,
जीवन के सावन तुम सुलसो।
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