अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
जब तू रचना में हँस दी
जब तू रचना में हँस दी
तूल-तूल के फूल खिले
पल्लव डोले-चिड़िया चहकी।
क्या गली-गली गुथ गयी रेणु,
ग्वाल के बाल की बजी वेणु,
हौली-हौली बढ़ गयी धेनु,
चोली हमजोली की मसकी।
कुम्हलायी डाली हरियाई,
खुल-खुलकर तरु कोयल गायी,
बल खाती विपुल हवा आयी,
सौरभ-सौरभ धरती किसकी।
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