अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
राम के हुए तो बने काम
राम के हुए तो बने काम,
सँवरे सारे धन, धान, धाम।
पूछा जग ने, वह राम कौन?
बोली विशुद्धि जो रही मौन,
वह जिसके दून, न ड्योढ़-पौन,
जो वेदों में है सत्य, साम।
वह सूर्य्यवंश सम्भूत तभी,
जीवन की जय का सूत तभी,
कृष्णार्जुन हारण पूत तभी,
जो चरण विचारण बिना दाम।
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