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आराधना
आराधना
प्रकाशक :
सरल प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2011 |
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
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पुस्तक क्रमांक : 8338
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आईएसबीएन :0 |
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2 पाठकों को प्रिय
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
साँझ के माझ के प्राण-धन धारिए
साँझ के माझ के प्राण-धन धारिए,
पार को सार करके सँवारिए।
अपनी विभूति को राख यदि कर सके,
भाव-विभव तर सके, उत्तम सँवर सके,
जीवन-अरण्य में निर्भय विचर सके,
हर सके शोक, इतरों को उतारिये।
जन विपज्जन्य होकर अगर आपके;
शाप के, पाप के, ताप के, दाप के;
होंगे न वे कभी हृदय की नाप के,
उनसे समझकर उबरिए, उबारिए।
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