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उपन्यास >> धरती और धन

धरती और धन

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :195
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 7640
आईएसबीएन :9781613010617

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बिना परिश्रम धरती स्वयमेव धन उत्पन्न नहीं करती।  इसी प्रकार बिना धरती (साधन) के परिश्रम मात्र धन उत्पन्न नहीं करता।


सेठ करोड़ीमल ने उसके फार्म के विषय में प्रश्न पूछने आरम्भ कर दिये और फकीरचन्द ने बिना कुछ भी छिपाये सब वृत्तान्त बता दिया। इसपर करोड़ीमल ने अपना विचार बताया, ‘‘मैं यहाँ एक फार्म खोल रहा हूँ, तुम मुझे क्या राय देते हो?’’

‘‘वैसे तो मैंने एक उड़ती-उड़ती खबर सुनी थी कि एक बम्बई से सेठ यहाँ फार्म खोलना चाहते है, परन्तु मैं यह नहीं जानता था कि वह आप ही हैं। आप तो व्यापार की बातों को मुझसे अधिक समझ सकते हैं। इस कारण मैं क्या राय दे सकता हूँ? यदि कोई ऐसा आदमी आपके पास हो, जो इस काम को अपना मान, इसमें दस घंटे नित्य परिश्रम कर सके और दूसरों से करा सके तो सफतला निश्चित है।’’

‘‘मैं अपने लड़के रामचन्द्र को इस काम पर लगा दूँगा।’’

‘‘वह तो बहुत ही छोटी आयु का प्रतीत होता है। बारह-तेरह के लगभग होगा?’’

‘‘नहीं। उसकी आयु अठारह वर्ष की हो गई हैं। नगरों में रहने के कारण वह दुबला-पतला प्रतीत होता है।’’

‘‘पर उसका, उस दिन रेल के डिब्बे में खिड़की के पास खड़े होकर यह कहना कि डिब्बा रिजर्व्ड है, उसके मानसिक विकास पर कुछ अच्छा प्रकाश नहीं डालता।’’

‘‘वह बचपन की बात अब समाप्त हो गई है। अच्छा, यह बताओ कि यदि मैं उसको यहाँ भेजूँ तो उसकी सहायता करोगे?’’

‘‘हाँ, यथासम्भव सहायता करूँगा। आप उसको भेज दीजिये।’’

‘‘तुम्हारे विचार में कौन-सा किता ठीक रहेगा?’’

‘‘यह नदी के पास की भूमि अच्छी है। कुछ ऊँची है परन्तु आज विज्ञान के युग में यह कोई भारी बाधा नहीं कहीं जा सकती।’’

इसके पश्चात् करोड़ीमल ने फकीरचन्द का इंजिन, आरा मशीन और चक्की देखी। उसने देखा कि प्रत्येक कर्मचारी काम पर लगा हुआ है और फकीरचन्द भली-भाँति जानता और समझता है कि वे क्या कर रहे हैं और कैसे कर रहे हैं। मार्ग में चलता हुआ वह प्रत्येक के काम के विषय में पूछता हुआ जा रहा था। सेठ ने गन्ने के खेतों में पेड़ी लगी देखी और नींबू के बगीचों में पानी दिया जाते देखा।

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