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उपन्यास >> धरती और धन

धरती और धन

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :195
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 7640
आईएसबीएन :9781613010617

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बिना परिश्रम धरती स्वयमेव धन उत्पन्न नहीं करती।  इसी प्रकार बिना धरती (साधन) के परिश्रम मात्र धन उत्पन्न नहीं करता।

13

वास्तव में मैनेजर मोतीराम के राजा साहब से शिकायत करने पर जाँच करने आया था। मोतीराम झाँसी में जाकर पहले मैनेजर साहब से ही मिला था। उसका कहना था कि राजा साहब की भूमि के किता नम्बर तीन का पट्टा उसको दे दिया जाय। मैनेजर ने कह दिया था कि उस भूमि का पट्टा एक औरत रामरखी को दिया जा चुका है। इसपर मोतीराम ने रामरखी के लड़के फकीरचन्द की निन्दा कपनी आरम्भ कर दी। मैनेजर ने कहा भी था कि पट्टेदार के पुत्र के चरित्र को देखना उसका कम नहीं है, परन्तु मोतीराम झाँसी में पड़ा रहा और राजा साहब से मिल-मिलकर उनके कान भरता रहा।

एक दिन राजा साहब ने मोतीराम के सामने ही मैनेजर को बुलाकर पूछा, ‘‘यदि कोई पट्टेदार भ्रष्ट-चरित्र का हो और उसके हमारे इलाके में रहने से हमारी प्रजा को कष्ट हो रहा हो तथा उसका चरित्र भी बिगड़ा रहा हो तो क्या हम उसका पट्टा रद्द करने मे अन्याय करते हैं?’’

मोतीराम को वहाँ बैठे देख मैनेजर इस प्रश्न का अर्थ समझ गया। इस कारण उसने निवेदन कर दिया, ‘‘महाराज ! यह आदमी मेरे पास भी आया था और मुझसे रामरखी पंजाबन को दी गई भूमि का पट्टा माँगता था। जब मैंने पट्टा रद्द करने में अपनी असमर्थता प्रकट की, तो यह कहने लगा कि पट्टेदार का लड़का फकीरचन्द चरित्रहीन है। वह वहाँ औरतों का चरित्र बिगाड़ रहा है। इस कारण ही यह उसके पटटे को रद्द करवाना चाहता है। साथ ही उस भूमि का पट्टा यह स्वयं लेना चाहता है, जिससे महाराज को हानि न हो।

‘‘यह फकीरचन्द वही लड़का है, जो यहाँ आया था। एक तो मुझे विश्वास नहीं आता कि वह इतना दुश्चरित्र हो गया है कि गाँव की औरतों को उससे भय उत्पन्न हो गया हो। वह बहुत ही सुकुमार, पढ़ा-लिखा, सभ्य और सुशील प्रतीत होता था। साथ ही उसके चरित्रहीन होने की जाँच पुलिस को करनी चाहिए। इन कारणों से मैं चुप था।

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