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उपन्यास >> धरती और धन

धरती और धन

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :195
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 7640
आईएसबीएन :9781613010617

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बिना परिश्रम धरती स्वयमेव धन उत्पन्न नहीं करती।  इसी प्रकार बिना धरती (साधन) के परिश्रम मात्र धन उत्पन्न नहीं करता।


उत्तर देने वाला विस्मय में मुख देखता रह गया। फकीरचन्द को उत्तर की प्रतीक्षा करते देख बोला, ‘‘हाँ बाबू ! पाँच बच्चे हैं, दो लड़के, तीन लड़कियाँ।’’

‘‘सब की आयु लिखवाओ।’

‘‘क्या बात है बाबू?’’

‘‘कल बताऊँगा।’’

कर्मचारी ने बता दिया, ‘‘बड़ा लड़का बीस वर्ष का है। उसका विवाह हो चुका है और उसका एक वर्ष का लड़का भी है। तीन लड़कियाँ हैं, एक की आयु अठारह वर्ष की है, दूसरी की पन्दर वर्ष और तीसरी की बारह वर्ष। बड़ी का विवाह अगले मास होने वाला है। अन्य दोनों स्कूल में पढ़ती हैं। सबसे छोटा लड़का नौ वर्ष का है और स्कूल में पढ़ता है।’’

‘‘अच्छा, कल काम पर छुट्टी है। माँ ने तुमको, तुम्हारी पत्नी, पतोहू और सब बच्चों को निमन्त्रण दिया है। कल बारह बजे भोज होगा।’’

‘‘क्या है बाबू?’’

‘‘यह माँ से पूछना।’’

‘‘तुम्हारा विवाह होने वाला है क्या?’’

‘‘क्या होने वाला है कल पता चल जाएगा।’’

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