लोगों की राय

उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598
आईएसबीएन :9781613011331

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

327 पाठक हैं

बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।

4

कात्यायिनी महाराष्ट्र के एक गाँव की लड़की थी। घर में प्रायः सब अशिक्षित थे। कात्यायिनी ही सबसे अधिक शिक्षा का सौभाग्य प्राप्त कर सकी थी। वह देहाती स्कूल की पाँचवी कक्षा तक पढ़ी थी। वहाँ तक पढ़ने से घर वाले उसको विदुषी और बुद्धिमती मानने लगे थे।

सौभाग्य की बात कहें अथवा हिन्दू-समाज में जात-पात के बन्धनों की बात माने, कात्यायिनी का विवाह दिल्ली में एम० ए० की श्रेणी में पढ़ने वाले श्रीपति से हो गया। विवाह की बात स्त्रियों-स्त्रियों में हुई और श्रीपति को नागपुर तथा वहाँ से गाँव ले जाया गया। वहाँ विवाह हुआ और श्रीपति कात्यायिनी को लेकर दिल्ली चला आया। श्रीपति के पिता का देहान्त हो चुका था। माँ बहुत सरल चित्त स्त्री थी। अतः जब बहू घर में आई तो वह समझी कि उसने जीवन का परम सुख पा लिया है।

जब श्रीपति ने एम० ए० पास किया और विश्वविद्यालय में उसे इतिहास के प्राध्यापक का स्थान मिला तो घर में सबने समझा कि घर में यह सौभाग्य बहू ही लेकर आई है। उस समय वह माँ बन चुकी थी। उसने एक पुत्री को जन्म दिया था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book