उपन्यास >> सुमति सुमतिगुरुदत्त
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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।
‘‘देखो मैं तुमसे विवाह तो नहीं कर सकता। हाँ, तुम्हें अपनी कोठी पर रखकर तुम्हारे जीवन-भर का प्रबन्ध अवश्य कर सकता हूँ।’’
‘‘परन्तु मेरे बच्चों का क्या होगा?’’
‘‘तुम्हें इतना मिल जाएगा कि जिससे तुम उनका आसानी से पालन-पोषण कर सको।’’
‘‘डर लगता है।’’
‘‘किससे?’’
‘‘भविष्य से।’’
‘‘बहुत भीरु हो।’’
‘‘इसी कारण तो विवाह कर स्त्रियाँ पति के संरक्षण में रहने के लिए उत्सुक रहती हैं।’’
‘‘संरक्षण तो तुम्हें बिना विवाह के भी मिल रहा है।’’
नलिनी ने स्वीकार कर लिया और कुछ दिनों बाद वह डॉ० सुदर्शन का घर छोड़कर ओझा की कोठी पर आकर रहने लगी।
सुधाकर अमेरिका से लौटने पर अपनी कोठी का प्रबन्ध इस नए प्राणी के हाथ में देखकर विस्मय करने लगा। उसके पिता ने बताया कि वह उसकी ‘हाउस कीपर’ है।
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