उपन्यास >> बनवासी बनवासीगुरुदत्त
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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...
इस कारण वह हल्ला नहीं करना चाहता था कि उसका लड़का कबीले की किसी लड़की को भगाकर क्रिस्तानों के पास ले जाना चाहता है। औरतें कबीले की सम्पत्ति थीं और उनको भगाना कबीले की चोरी करना माना जाता था। एक बात और भी थीं; कुछ कबीले वाले मुसलमान हो गए थे, परन्तु वे संख्या में कम थे, इस कारण उनसे बदला लेना सुगम था। परन्तु इन क्रिस्तानों को तो छूना भी असम्भव बात थी। तनिक-से सन्देह पर ही अंग्रज़ो के सैनिक आ धमकते थे और कबीले को मौत के घाट उतार देते थे।
जहाँ वह यह नहीं चाहता था कि बड़ौज पर सन्देह हो जाए कि वह कबीले की एक लड़की को भगाकर पादरियों के पास ले जा रहा है, वहाँ वह यह भी नहीं चाहता था कि पादरियों से किसी प्रकार का झगड़ा हो। इस कारण वह आराम से अपने लड़के को समझाना चाहता था।
परन्तु इस समय तो मुख्य प्रश्न दण्ड के लिए रुपये बटोरना था। वह अपने पड़ोसी लीमा के घर पहुँचा। उसके तीन लड़के थे। सब-के-सब शिकार करते थे और खालें इकट्ठी कर नगर में बेचने के लिए जाते थे। लीमा की लड़की लुग्गी भागकर क्रिस्तानों के पास चली गई थी और वह अब सुखी कही जाती थी। पहले तो लीमा भी अपने कबीले वालों की भाँति लुग्गी से घृणा करता था, परन्तु उसके लड़के जब लुमडिंग जाते थे तो उससे मिलते थे और उसको सुखी देख उससे घृणा छोड़ चुके थे।
लुग्गी से परिचय के कारण लीमा के घर में कई परिवर्तन हो रहे थे और वह धनी भी हो रहा था। धनिक का विचार था कि उसके पास पर्याप्त धन है। इसलिए वह उसको चालीस-पचास तो उधार दे ही देगा।
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