लोगों की राय

उपन्यास >> बनवासी

बनवासी

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :253
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7597
आईएसबीएन :9781613010402

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...

3

अगले दिन रेमरेण्ड पार्ल बहुत प्रातःकाल एक आवश्यक काम से गोहाटी चला गया। सदा से भिन्न इस दिन वह अपने सोने के कमरे को ताला लगा गया।

रजिस्टर्ड पत्र के पार्ल के हाथ में जाने के समय से पार्ल का व्यवहार एक ही बात प्रकट करता था। वह यह कि उस पत्र का बड़ौज के साथ सम्बन्ध है; इससे ही उसको छिपाकर रखा जा रहा है। एक पत्र, जिसका भेजने वाला सैमुएल स्टीवनसन है, भला उसके साथ क्या सम्बन्ध रख सकता है, जिसमें बिन्दू नहीं।

इतना विचार कर वह इस विषय में अपने व्यवहार का निश्चय करना चाहता था। इस समय उसको वह पता स्मरण हो आया जो भेजने वाले ने लिफाफे पर बायें हाथ की तरफ लिखा था। उन पिछले तीन दिनों में जब पार्ल दौरे पर था, वह यह पता पचास बार पढ़ चुका था। इस कारण उसको वह कण्ठस्थ हो गया था।

उसने अपनी पॉकेटबुक निकाली और वह पता उस पर लिख लिया। पता था–सैमुएल स्टीवनसन, बिन्दू ग्रीन, मनाली, कुल्लू, काँगड़ा।

अब उसके सामने दो मार्ग थे। एक तो पार्ल के सोने के कमरे को कोई चाबी लगाकर खोल ले और उस पत्र को ढूँढ़कर पढ ले। दूसरे तुरन्त उक्त पते पर जा पहुँचे और अपनी आँखों से देख ले।

पहला मार्ग तो उसको चोरी प्रतीत हुआ। दूसरा मार्ग मानयुक्त था। परन्तु क्या वह बिना छुट्टी लिये वहाँ से जा सकता है?

दोनों अपराधों में बिना छुट्टी के जाना छोटा अपराध प्रतीत हुआ। इस कारण उसने जाना स्वीकार कर लिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book