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उपन्यास >> बनवासी

बनवासी

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :253
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7597
आईएसबीएन :9781613010402

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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...


‘‘तो आपको किस प्रकार विश्वास आएगा?’’

‘‘इसकी आवश्यकता ही क्या है?’’

‘‘आवश्यकता है मुझको आपसे विवाह करने की।’’

‘‘तो क्या इस आवश्यकता के लिए अनिश्चित बात को निश्चित मान लेना चाहिए?’’

‘‘आप एक बात बताइए कि यदि कभी आपको विश्वास हो जाए कि आपकी बिन्दू विवाह कर चुकी है तो आप मुझसे विवाह कर लेंगे? यदि आप इस बात का आश्वासन दें तो मैं प्रतीक्षा कर सकती हूँ।’’

‘‘कब तक?’’

‘‘जीवन-पर्यन्त।’’

‘‘मैं एक आश्वासन दे सकता हूँ। यदि मैंने कभी अपना दूसरा विवाह किया तो मैं मिस नेमी सील से करूँगा।’’

सील इस आश्वासन से सन्तुष्ट नहीं थी। इसमें दो बातें थीं। एक तो यह कि यदि वह दूसरा विवाह करेगा तब की बात थी। दूसरे वह विवाह करेगा तो मिस नेमी सील से। अर्थात् वह जीवन-भर अविवाहित रहेगा। फिर भी उसने इस आश्वासन के लिए बड़ौज को धन्यवाद दिया। अब उसने कुछ पाँव फैलाने के लिए कह दिया, ‘‘मैं आश्वासन की गारण्टी चाहती हूँ।

‘‘क्या गारण्टी चाहती हो?’’

‘‘एक लविंग किस।’’

‘‘नहीं, समय से पूर्व यह उचित नहीं है।’’ इतना कह वह मकान की ओर लौट पड़ा। इससे तो मिस सील मुर्तिवत् उसको जाते देखती खड़ी रह गई।

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