उपन्यास >> बनवासी बनवासीगुरुदत्त
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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...
सोना के जाने के बाद वह अपने पति के शयन कक्ष में गई तो वह उस को पीटने के लिए दौड़ा। सोफी भागकर बाहर चली आई। वह जानती थी कि सोना का सौन्दर्य और शरीर-गठन इस अवस्था में भी उससे उत्तम है। इससे उसके चले जाने पर उसका पति निराश और क्रोध में विवेक त्याग बैठा था। उसको अपने पति पर दया आ गई। अपने सोने के कमरे में जा उसको भीतर से बन्द कर वह लेट गई।
वह लेटी-लेटी विचार करती रही और वह फिर इस निर्णय पर पहुँची कि उसके पति का व्यवहार सर्वथा अयुक्तिसंगत है। इससे उसका मन सोना के प्रति उत्कट सहानुभूति से भर गया।
रात-भर के विचार का एक परिणाम निकला कि उसको अपना शेष जीवन ईसाई मिशन के कार्य पर लगा देना चाहिए, जिससे कि इस प्रकार के उजड्ड पति का खिलौना बनने से बचा जा सके। यह निश्चय करते ही, वह उठी और घर छोड़ने की तैयारी करने लगी। उसने अपना पत्र लिखने का पैड निकाला और उस पर अपने पति को निम्न पत्र लिखा–
‘‘माई डियरेस्ट...!
मैं आज आपको सदा के लिए छोड़ रही हूँ। आपके जीवन में औरतों से खिलवाड़ होती देख-देखकर अब मैं ऊब गई हूँ। ऊँट की कमर तोड़ने वाला उसकी पीठ के बोझे का अन्तिम तिनका आपके सोना के प्रति व्यवहार ने प्रस्तुत कर दिया है। आप किसी औरत के मन के कोमल भावों को समझ नहीं सकते। सदा उसको अपनी वासना-तृप्ति के लिए केवल मशीन ही समझते रहे हैं। यह अब मेरे लिए असह्य हो गया है।
मैं जा रही हूँ और चाहती हूँ कि आप मेरे पीछे न आएँ, अन्यथा मुझे पुलिस में रिपोर्ट करनी पड़ेगी।
मैं आपसे घृणा करने लगी हूँ। आप इस पत्र के आधार पर मुझसे तलाक प्राप्त कर सकते हैं।
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