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उपन्यास >> नास्तिक

नास्तिक

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :433
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7596
आईएसबीएन :9781613011027

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खुद को आस्तिक समझने वाले कितने नास्तिक हैं यह इस उपन्यास में बड़े ही रोचक ढंग से दर्शाया गया है...


‘‘मैंने जब अब्बाजान की इस नीयत का वर्णन भाई को बताया तो इन्होंने कहा कि मैं इनके यहाँ बहिन की हैसियत से रह सकती हूँ।’’

‘‘इसके अलावा आज से एक सप्ताह पहले मेरे अब्बाजान और मेरी अम्मी दिल्ली भाईजान के घर पर आकर मिलीं और मुझे कहने लगीं कि उन्होंने मेरी शादी एक सआदतअली से करने का फैसला किया है, इसलिए मुझे बम्बई चलना चाहिए। मैंने शादी से इनकार किया। इनकार करने में दो वजह हैं। एक तो यह कि वह मुसलमान है और मुस्लिम शरअ से मुझसे शादी करना चाहता है। मुस्लिम कानून में औरत को खाविन्द छोड़ने का हक हासिल नहीं होता और खाविन्द को यह हक हासिल है। इसी वास्ते मैंने सआदतअली से शादी मंजूर न कर, अपने हक हासिल करने के लिए मैंने मुस्लिम मजहब छोड़ दिया है। अगर अभी नाबालिग़ होने के कारण अब्बाजान को हक हासिल है कि मेरी शादी कर दें। इस लिए मैं अब्बाजान के घर में जाकर नहीं रहना चाहती।’’

‘‘साथ ही सआदतअली के जीवन के साधन मुझे विदित नहीं और मैं अब्बाजान के साधनों की बाबत जितना कुछ जानती हूँ, वह यही है कि उनके साधन, कानून से स्वीकार किये साधन नहीं हैं। इस कारण मैं सआदतअली और अब्बजान के पास जाकर रहना नहीं चाहती।’’

‘‘मेरे भाईजान ज्ञानस्वरूप उर्फ मुहम्मद यासीन ने बताया है कि यह मुसलमान नहीं हैं, मुसलमानी शरअ के पाबन्द नहीं हैं। इसलिए मैं इनके घर पर रहना पसन्द करती हूँ।’’

‘‘अभी तक कहीं भी शादी करने का मेरा इरादा नहीं है। जब तक मैं नाबालिग हूँ, मैं शादी करने से पहले अपनी अम्मी और वालिद साहब की इजाजत लेकर ही करूँगी। बालिग होने पर मैं क्या करूँगी, उसके विषय में इतना ही बता सकती हूँ कि अपने हक-हकूक का इस्तेमाल करूँगी।’’

‘‘मैं अपने भाई ज्ञानस्वरूप उर्फ मुहम्मद यासीन के घर रहना चाहती हूँ और अब्बाजान अब्दुल हमीद साहब के घर में रहना नहीं चाहती।’’

ये बयान न्यायालय में दाखिल किए गए तो अब्दुल हमीद साहब के वकील ने इनकी नकल माँगी। इसके लिए दो महीने की तारीख पड़ गई। मुहम्मद यासीन और नगीना को जमानत पर छोड़ दिया गया।

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