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27 श्रेष्ठ कहानियाँ

चन्द्रगुप्त विद्यालंकार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :223
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2097
आईएसबीएन :1234567890

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स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ आरंभिक वर्षों की कहानियाँ


महिला ने आंखें खोल ली थीं और एकटक सामने की ओर देख रही थी। उसके ओठों पर हलकी सी मधुर रेखा फैली थी, जो ठीक मुसकराहट नहीं थी। मुसकराहट से बहुत कम व्यक्त उस रेखा में गम्भीरता भी थी और अवसाद भी-वह जैसे अनायास उभर आई किसी स्मृति की रेखा मात्र थी। उसके माथे पर भी हलकी सी सिकुड़न पड़ गई थी।
बच्ची जल्दी ही दूध से हट गई। उसने सिर उठा कर अपना बिना दांत का मुंह खोल दिया  और किलकारी मारती हुई मां की छाती पर मुट्ठियों से प्रहार करने लगी। दूसरी ओर से आती हुई एक गाड़ी तेजी से गुजरी, तो वह जरा सहम गई, मगर गाड़ी के गुजरते ही और भी मुंह खोलकर किलकारी मारने लगी। बच्ची का चेहरा गदराया हुआ था और उसकी टोपी के नीचे से भूरे रंग के हलके-हलके बाल नजर आ रहे थे। उसकी नाक जरा छोटी थी, पर आंखें मां की ही तरह गहरी और फैली हुईं थीं। मां के गाल और कपड़े नोच कर उसकी आंखें मेरी ओर घूम गईं और वह बाहें हवा में झटकती हुई मेरी ओर देख कर किलकारियां मारने लगी।
महिला की पुतलियां उठीं और उसकी उदास आंखें पल भर मेरी आंखों से मिली रहीं। मुझे क्षण भर के लिए लगा कि मैं एक ऐसे क्षितिज को देख रहा हूं, जिसमें गोधूलि के सभी हलके गहरे रंग झिलमिला रहे हैं और जिसका दृश्य-पट क्षण के हर शतांश में बदलता जा रहा है।

बच्ची मेरी ओर देख कर बहुत हाथ पटक रही थी, इसलिए मैंने बच्ची की ओर हाथ बढ़ा दिए और कहा-''आ बेटे, आ...''
मेरे हाथ पास आ जाने पर बच्ची के हाथों का हिलना बन्द हो गया और उसके ओंठ रुआंसे से हो आए।
महिला ने बच्ची के ओंठों को अपने ओंठों से छुआ और कहा-''जा बिट्टू, जाएगी?''
लेकिन बिट्टू के ओंठ और रुआंसे से हो गए और वह मां के साथ सट गई।
''पराए आदमी से डरती है।''-मैंने खिसियाने स्वर में कहा और हाथ हटा लिए।
महिला के ओंठ भिंच गए और माथे के मांस में खिंचाव आ गया। उसकी आंखें जैसे अतीत में चली गईं। फिर सहसा वे लौट आईं और वह बोली-''नहीं, डरती नहीं। इसे असल में आदत नहीं है। यह आज तक या तो मेरे हाथों में रही है, या नौकरानी के हाथों में!'' और, वह उसके सिर पर झुक गई। बच्ची उसके साथ सटकर आंखें झपकाने लगी। महिला उसे हिलाती हुई थपकियां देने लगी। बच्ची ने आंखें
मूंद लीं। महिला उसकी ओर देखती हुई, जैसे चूमने के लिए ओंठ बढ़ाए हुए, उसे थपकियां  देती रही। फिर उसने अनायास मुसकरा कर उसे चूम लिया।

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