कहानी संग्रह >> 27 श्रेष्ठ कहानियाँ 27 श्रेष्ठ कहानियाँचन्द्रगुप्त विद्यालंकार
|
|
स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ आरंभिक वर्षों की कहानियाँ
सावधानी से उस स्प्रिंग को आलमारी पर रख कर उसने अपना हुक्का भरा और बड़ी
देर तक खांसता रहा। वह पिछले चार-पांच साल से दमे का मरीज हो गया था और
बहुधा बीमार रहा करता था। कई भारी-भारी दम लगा कर उसने चिलम रख दी। किसी
ने चुपके से मेरे कान में यह भी कहा था कि वह चरस पीता है। पर यह नशा करना
आवश्यक था। जो व्यक्ति अपने अतीत की स्मृतियों का इतना बड़ा खजाना संवारे
हुए हो, उसका मन आज का हाल देख कर सचमुच ही मुरझा जाएगा। सम्भवत: इसीलिए
वह नशा करता होगा। उसकी आंखें लाल हो गई थीं और गला भारी पड़ गया था। वह
कुछ सोच कर बोला-''आज पहले जमाने के लोगों वाली बात नहीं रह गई है। आज तो
जमाना ही बदला हुआ नजर आता है।''
वह जाति का हरिजन था और मशीन के नए जमाने के आने के साथ इस तरह के
कारीगरों का सम्मान घटता चला जा रहा था। यह सभी जानते थे कि हरिजनों को वे
सामाजिक अधिकार प्राप्त नहीं थे, जो और ऊंची जाति वालों को
प्राप्त थे। फिरंगी ने दस्तूरे-अमल-पुराने रीति-रिवाजों के आधार पर-वहां
के लिए कानून बनाए थे। उस कानून
के अन्तर्गत हरिजनों को कोई सामाजिक अधिकार नहीं था। जोगा अपने बड़े लड़के
की शादी धूमधाम से करना चाहता था और उसकी बरात जब एक गांव से गुजर रही थी,
तो वहां के राजपूतों तथा ब्राह्मणों ने बहू को पालकी पर चढ़ कर गांव के बीच
से नहीं जाने दिया था। जोगा उस अपमान के घूंट को चुपचाप पी कर लौटा था और
तब से उसकी हालत नहीं सुधरी थी। अब तो वह काम पर भी मन नहीं लगाता था और
अपने लड़के को बताता था कि बहुत बुरा जमाना आने वाला है। अब कारीगरों की
कोई इज्जत नहीं रह जाएगी।
शाम को हम ग्रामोफोन ले कर फिर होली का समारोह मनाने की तैयारी करने लगे।
रात को कई स्वांग किए जाने वाले थे और हमने उस समारोह में आने के लिए जोगा
को भी निमंत्रित किया था। उसे निमंत्रण देने वाले मसले पर आपस में बड़ी देर
तक बहस होती रही। बूढ़े-बूढ़ियों ने उस समारोह का बायकाट करने का नारा दिया,
लेकिन हमारे आगे उनकी एक न चली। अब, जब वह ग्रामोफोन बजाया गया, तो उससे
आवाज और सुरीली निकल रही थी। जोगा आंखें मूंदे हुए बैठा सुनता रहा, फिर
बोला कि आवाज और साफ होनी चाहिए। उसे यह मालूम हुआ कि शायद वह स्प्रिंग
ठीक तरह नहीं कस पाया है और इसीलिए उसने आश्वासन दिया कि अगले दिन उसे खोल
कर ठीक कर देगा। लेकिन जब उसे बताया गया कि सुई को केवल दो बार व्यवहार
में लाना चाहिए, जबकि एक सुई पचास-साठ बार चलाई जा रही है, तो वह
मुस्कराया और बोला कि फिरंगी सब चीजों में लूट मचा रहा है। उसने कुछ
सुइयां लीं और उनकी नोक अपनी उंगलियों पर चुभाने की चेष्टा की-उनको परखा।
फिर, कुछ देर तक न-जाने वह क्या सोचता रहा।
|