लोगों की राय

कहानी संग्रह >> 27 श्रेष्ठ कहानियाँ

27 श्रेष्ठ कहानियाँ

चन्द्रगुप्त विद्यालंकार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :223
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2097
आईएसबीएन :1234567890

Like this Hindi book 0

स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ आरंभिक वर्षों की कहानियाँ


मगर राधा का चेहरा चिन्तित ही रहा। खोटी चवन्नी देकर इन्होंने पाप किया है और पाप का फल सदा...........। आशंका से उसका दिल कांप उठा।
उसी समय उठ कर उसने ट्रंक खोला। उसमें से एक पोटली निकाली। पोटली में से पैसे निकाल कर वह मदन गोपाल के पास आई; बोली-''ये लो चार आने। अभी दे आओ जाकर। मुझे डर लगता है, कहीं कुछ हो न जाए।''
मदन गोपाल को बरबस हँसी आ गई। राधा की इसी बात पर वह लट्टू है। देखो तो, कितनी चिन्तित हो रही है-और कितनी प्यारी लगती है अपनी इस चिन्ता में। सिर पीछे फेंक कर वह खूब जोर से हँसा और हँसता चला गया।
''अरे रे,'' आखिर हँसी रोक कर वह बोला-''मगर तुम्हें यह किसने कह दिया कि खोटी चवन्नी मेरी ही थी?''

''हो सकता है, तुम्हारी ही हो। जाओ, जाकर दे आओ।"
''अच्छा बाबा, दे आऊंगा।'' अब मदन गोपाल को क्रोध आ रहा था-भला यह भी कोई बात है!
''दे क्यों नही आते अभी?''
''इस समय टैक्सी वाले को मैं कहां ढूढूँगा? सुबह आठ बजे उसकी टैक्सी दायरे के पास आकर खड़ी होती है, तभी दे आऊंगा।''  

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book