लोगों की राय

कहानी संग्रह >> 27 श्रेष्ठ कहानियाँ

27 श्रेष्ठ कहानियाँ

चन्द्रगुप्त विद्यालंकार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :223
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2097
आईएसबीएन :1234567890

Like this Hindi book 0

स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ आरंभिक वर्षों की कहानियाँ


धीरे-धीरे सहभोज का समय निकट आ गया। कमलकिशोर सिल्क का एक बढ़िया सूट पहने, मित्रों के साथ हँसी-मजाक करते हुए, भांति-भांति की सामग्रियों से सजाई हुई मेजों का निरीक्षण कर रहे थे। बड़े सेठ जी बंगले के फाटक पर खड़े अभ्यागतों का स्वागत कर रहे थे। बंगले से बाहर सड़क पर मोटरों की कतारें ही कतारें लगी हुई थीं। बैड बज रहा था। शान-शौकत देखने वालों का मन भी आनन्द से पुलकित हो रहा था।

तभी अचानक, सेठ जी की कोठी के पीछे, से जहां किराएदारों के घर थे, कोलाहल सुनाई दिया। सहसा सभी का ध्यान उस शोरगुल की ओर चला गया। तुरन्त ही सेठ जी ने कमल से कहा-  ''देखना, क्या बात है!''
और वे स्वयं आग्रहपूर्वक मेहमानों का आदर-सत्कार कर सबका ध्यान बटाने में तन्मय हो गए।
कुछ देर में एक नौकर ने बड़े अदब से आकर धीरे से सेठ जी को खबर दी-'' ललिता गानेवाली ने आग लगा ली-बहुत जल गई है। भैया जी मोटर पर लेकर अस्पताल गए है।''

एक स्त्री जल गई इस खबर के फैलने से कहीं आनन्द में फीकापन न आ जाए, इसलिए सेठ जी ने सबको केवल इतनी ही खबर दी कि एक मकान में आग लग गई थी, सो बुझा दी गई। वातावरण पुन: आनन्द से विभोर हो उठा।

सेठ जी को अपने मन में कमलकिशोर की इस नादानी पर क्षोभ हुआ कि वह स्वयं अस्पताल क्यों चला गया, किसी नौकर के द्वारा उसे भेज देना काफी था। अत: उन्होंने अवसर निकाल कर चुपके से कमल को बुला लाने के लिए एक आदमी को मोटर पर दौड़ा दिया और स्वयं बड़े उत्साह से, अनुनय-विनय के साथ, सबको खिलाने-पिलाने में लगे रहे।

सहभोज आनन्दपूर्वक समाप्त हो गया, किन्तु कमलकिशोर अस्पताल से लौट कर नही आए। नौकर गए, मुनीम जी गए और कमल के एक परम स्नेही मित्र भी बुलाने गए। सबने आकर सेठ जी से यही कहा-''कमल बाबू डाक्टरों के साथ आपरेशन रूम में हैं।''

निराश होकर मित्र भी खा-पीकर चले गए। परस्पर कुछ कानाफूसी अवश्य हुई। कमल अपने घर के इतने बड़े समारोह की परवाह न कर उस गानेवाली की चिकित्सा में व्यस्त है। ललिता जब गाना गा रही थी, तो एकटक कमल को ही देखे जा रही थी। फिर घर जा कर भीतर से दरवाजा बन्द करके आग लगा ली। यह विचार उसके मन में कुछ रहस्य का आभास करा रहा था-साथ ही, सन्देह का निवारण भी। सम्भव है, कमल का यह आचरण केवल सज्जनतावश ही हो। उसका यहां और कौन है। कमल के उपस्थित रहने से डाक्टर लोग चिकित्सा में कोई कसर नहीं रखेंगे। सम्भव है, बेचारी के प्राण बच जाएं। कैसी सुन्दर युवती है!

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book