ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
देवताओं का हिमालय के पास जाना और उनसे सत्कृत हो उन्हें उमाराधन की विधि बता स्वयं भी एक सुन्दर स्थान में जाकर उनकी स्तुति करना
नारदजी बोले- महामते! आपने मेना के पूर्वजन्म की यह शुभ एवं अद्भुत कथा कही है। उनके विवाह का प्रसंग भी मैंने सुन लिया। अब आगे के उत्तम चरित्र का वर्णन कीजिये।
ब्रह्माजीने कहा- नारद! जब मेना के साथ विवाह करके हिमवान् अपने घर को गये, तब तीनों लोकों में बड़ा भारी उत्सव मनाया गया। हिमालय भी अत्यन्त प्रसन्न हो मेना के साथ अपने सुखदायक सदन में निवास करने लगे। मुने! उस समय श्रीविष्णु आदि समस्त देवता और महात्मा गिरिराज के पास गये। उन सब देवताओं को आया देख महान् हिमगिरि ने प्रशंसापूर्वक उन्हें प्रणाम किया और अपने भाग्य की सराहना करते हुए भक्तिभाव से उन सबका आदर-सत्कार किया। हाथ जोड़ मस्तक झुकाकर वे बड़े प्रेम से स्तुति करने को उद्यत हुए। शैलराज के शरीरमें महान् रोमांच हो आया। उनके नेत्रों से प्रेम के आँसू बहने लगे। मुने! हिमशैल ने प्रसन्नमन से अत्यन्त प्रेमपूर्वक प्रणाम किया और विनीतभाव से खड़े हो श्रीविष्णु आदि देवताओं से कहा।
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