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शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2079
आईएसबीएन :81-293-0099-0

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...

 

अध्याय ३६-३७ 

देवताओं का पलायन, इन्द्र आदि के पूछने पर बृहस्पति का रुद्रदेव की अजेयता बताना, वीरभद्र का देवताओं को युद्ध के लिये ललकारना, श्रीविष्णु और वीरभद्र की बातचीत तथा विष्णु आदि का अपने लोक में जाना एवं दक्ष और यज्ञ का विनाश करके वीरभद्र का कैलास को लौटना

ब्रह्माजी कहते हैं- नारद! उस समय देवताओं के साथ शिवगणों का घोर युद्ध आरम्भ हो गया। उसमें सारे देवता पराजित हुए और भागने लगे। वे एक-दूसरे का साथ छोड़कर स्वर्गलोक में चले गये। उस समय केवल महाबली इन्द्र आदि लोकपाल ही उस दारुण संग्राम में धैर्य धारण करके उत्सुकतापूर्वक खड़े रहे। तदनन्तर इन्द्र आदि सब देवता मिलकर उस समरांगण में वृहस्पति जी को विनीतभाव से नमस्कार करके पूछने लगे।

लोकपाल बोले- गुरुदेव वृहस्पते! तात! महाप्राज्ञ! दयानिधे! शीघ्र बताइये, हम जानना चाहते हैं कि हमारी विजय कैसे होगी?

उनकी यह बात सुनकर बृहस्पति ने प्रयत्नपूर्वक भगवान् शम्भु का स्मरण किया और ज्ञानदुर्बल महेन्द्र से कहा।

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