ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 3 देवकांता संतति भाग 3वेद प्रकाश शर्मा
|
0 |
चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
''जब मुझे जमना और बिहारीसिंह की बातों से यह पता लग गया कि यहां पर एक रामकली पहले ही से मौजूद है तो मैं समझ गया कि यह सब कार्यवाही पिशाचनाथ की है। उसे किसी तरह यह पता लग गया होगा कि किसी ने उसकी पत्नी रामकली को यहां से गायब करके किसी दूसरी ही औरत को उसके घर में रामकली बनाकर बैठा दिया है। उसे किसी तरह यह भी पता लग गया होगा कि उसकी रामकली कहां कैद है।''
''लेकिन यह सब जानकारी उसे मिली कहां से?''
''यह तो मैं नहीं जानता, कैदखाने से रामकली का गायब होना, पिशाच द्वारा रामकली बनी नसीमबानो का अपहरण और पिशाच के घर पर एक और रामकली का होना.. ये सब बातें साबित करती थीं कि पिशाचनाथ को किसी तरह यह पता लग गया है कि कोई दुश्मन उसके खिलाफ साजिश कर रहा है। लेकिन अभी तक वह यह नहीं जान पाया था कि यह सब साजिश कौन कर रहा. है?
''यह तुम कैसे कह सकते हो कि पिशाचनाथ यह नहीं जानता कि यह सब कार्यवाही तुम्हारी है?''
''क्योंकि जिस समय वह नसीमबानो को लेकर मठ पर पहुंचा तो उसने अपने शागिर्दों से कहा था- 'इससे पूछताछ करना कि यह कौन है?' उसके इन शब्दों का सीधा मतलब था कि अभी तक पिशाच यह नहीं जान पाया है कि नकली रामकली बनी कौन है। अत: वह यह नहीं जान पाया था कि यह कार्यवाही मैं यानी शैतानसिंह कर रहा हूं।''
''लेकिन पिशाचनाथ की चाल क्या थी?''
''जैसाकि मैंने आपको बताया.. किसी जरिए से पिशाचनाथ को यह पता लग ही गया था कि उसके घर पर जो रामकली है वह नकली है, किन्तु वह यह नहीं जान सका था कि रामकली कौन बनी हुई है और यह सब कार्यवाही किसकी तथा किस सबब से है? किसी तरह उसे यह भी पता लग गया था कि रामकली कहां कैद है। उसने मेरी उस कैद से रामकली को आजाद किया और अपने तीन साथियों और रामकली के साथ जाकर नसीमबानो का अपहरण किया.. और यहीं पर उसने अपनी चाल खेली थी। उसने सोचा होगा कि जिस किसी भी दुश्मन ने असली रामकली को कैद करके नकली रामकली उसके घर में रखी, वह उसे धोखा देना चाहता था और धोखा देने का ढंग यह था कि उसने चुपचाप नकली रामकली को वहां से हटाकर' असली रामकली को वहां बैठा दिया। उसकी योजना ये थी कि जिस किसी की भी ये चाल, है वह उसकी पत्नी को अपनी बनाई हुई रामकली समझकर बातें करेगा और धोखा खा जाएगा... इससे उसे यह भी पता लग जाएगा कि उसके दुश्मन कौन हैं और उन सब कार्यवाहियों के पीछे उसका क्या सबब है और सच भी है.. अगर मुझे समय रहते यह पता नहीं लगता कि मेरे कैदखाने से असली रामकली गायब हो गई है और मैं पिशाचनाथ, उसके साथियों और जमना को मठ की ओर जाते देख नहीं लेता तो मैं सोच भी नहीं सकता था कि नसीमबानो की जगह पर अब असली रामकली पिशाच के घर बैठी है। यह संयोग ही था कि वक्त रहते ही मुझे पिशाच की साजिश का पता चल गया। उधर जमना असली पिशाच को नकली और मुझे असली पिता समझ रही थी। इसी तरह नसीमबानो को असली रामकली और असली रामकली को नकली रामकली समझ रही थी.. यह भेद मैंने जमना और बिहारी की बातों से ही जान लिया था। जब मैंने देखा जमना पूरी तरह धोखे में पड़ी हुई है तो उसे और ज्यादा यकीन दिलाने के लिए मैं नसीमबानो को, जो अभी तक रामकली के भेस में ही थी, लेकर जमना और बिहारीसिंह के सामने पहुंचा। उस समय पिशाचनाथ को तो कैद कर ही लिया था.. अब मैंने निश्चय किया कि रामकली को भी कैद कर लूं। इस तरह मैं पिशाच पर कई तरह के दवाब डालकर उससे रक्तकथा का पता लगा लूंगा। यही सोचकर मैं नसीमबानो को लेकर बिहारी और जमना के पास पहुंचा और जमना को यकीन दिलाया कि मैं असली पिशाच और नसीमबानो असली रामकली है। उसका दिमाग तो पहले ही यह बात मान रहा था, अत: उसे यकीन दिलाने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, इस तरह मैंने असली रामकली को कैद कर लिया और नसीमबानो को पुन: वहीं लाकर पिशाचनाथ की सारी कार्यवाही बेकार कर दी। इस तरह से मैं असली रामकली को लेकर बिहारीसिंह के साथ यहां के लिए रवाना हो गया। रामकली बनी हुई नसीमबानो को मैं वहीं छोड़ आया। रास्ते में बिहारीसिंह ने व्यग्र होकर मुझसे सबकुछ पूछा तो मैंने उसे यह सच-सच बता दिया जो मैंने आपको बताया है। बिहारीसिंह घर चला गया, मैंने रामकली को भी उसी कैदखाने में डाल दिया जहां पिशाच कैद है। बस.. इतना काम करके मैं यहां आपके पास बैठा हुआ यह सब बता रहा हूं. अब आप मुझे आदेश दें कि आगे मुझे क्या करना है?'' इतना सबकुछ कहकर शैतानसिंह चुप हो गया और एकटक बेगम बेनजूर की तरफ देखने लगा।
|