ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 3 देवकांता संतति भाग 3वेद प्रकाश शर्मा
|
0 |
चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
''इसका मतलब ये है कि पहले तुमने रामकली का अपहरण करके वहां नसीमबानो को पिशाचनाथ को धोखा देने के लिए रामकली बनाकर रखा। बाद में पिशाच ने तुम्हें धोखा देने के लिए नसीमबानो को हटाकर असली रामकली को रखा।'' बेगम बेनजूर बोली- ''और अब फिर तुम जमना के सामने नसीमबानो को असली रामकली साबित करके रामकली को निकाल लाए और इस समय पिशाचनाथ और रामकली दोनों ही तुम्हारी, कैद में हैं और इतना होने के बाद भी अभी तक पिशाच अथवा रामकली में से कोई ये नहीं जानता कि वे किसकी कैद में हैं?''
''बाकी तो आपने सबकुछ सही कहा बेगम साहिबा लेकिन आखिर में गलत कहा।'' शैतानसिंह बोला- ''जब तक मैंने पिशाचनाथ को टमाटर नहीं दिखाया था, उस समय तक तो वह नहीं समझा होगा कि उसकी ऐयारी किससे चल रही है। लेकिन वह अच्छी तरह जानता है कि दुनिया में एक शैतानसिंह ही ऐसा आदमी है जो टमाटर वाले भेद से वाकिफ है, अत: वह समझ गया होगा कि वह इस समय शैतानसिंह की कैद में है।''
''अच्छा!'' बेगम बेनजूर ने कहा- ''ये बात तो पक्की है कि रक्तकथा आजक्रल पिशाच के कब्जे में है?''
''खुद अपने कानों से नसीमबानो ने दलीपसिंह और पिशाचनाथ की बातें सुनी हैं।'' शैतानसिंह ने जवाब दिया।
''तो हमारा हुक्म यही है कि आज दिन में ही किसी भी तरह पिशाच से रक्तकथा का पता पूछो।'' बेगम बेनजूर ने कहा- ''अगर जरूरत पड़े तो इस काम में सफलता हासिल करने के लिए तुम टमाटर का प्रयोग कर सकते हो। हमें उम्मीद है कि टमाटर को देखते ही वह सबकुछ बता देगा।''
... आगे जानने के लिए भाग-4 पढ़ें
|