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देवकांता संतति भाग 1

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2052
आईएसबीएन :0000000

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

 

पंद्रहवाँ बयान

जेम्स बांड, माइक स्पलेन, बागारोफ और हुचांग।

दुनिया के तख्ते के चार महान देशों के इन चार महान जासूसों को तो जैसे हम बिल्कुल ही भूल गए। कायदा यह कहता है कि हमें इन चार महान विभूतियों के साथ इतनी नाइन्साफी नहीं करनी चाहिए। कम-से-कम ये तो लिखना ही चाहिए कि ये लोग वहां कैसे फंस गए और इनके साथ क्या गुजरी और अब क्या करना चाहते हैं? सबसे पहले हम इनका संक्षिप्त परिचय दे दें, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे बहुत से नए पाठक सन्तति पढ़ रहे हैं। जेम्स वांड ब्रिटेन का अब्वल दर्जे का जासूस है। माइक का अमेरिका में पहला स्थान है। बागारोफ रूस की नाक है तो हुचांग पर चीनी तानाशाह गर्व करते हैं। आयु की दृष्टि से इन सबमें बड़ा बागारोफ है। सब बागारोफ को चचा कहते हैं और उसकी इज्जत करते हैं। बागारोफ के बात करने का ढंग ऐसा है कि वह बातबात पर ऊटपटांग गालियां दिया करता है। उसके बारे में ये प्रसिद्ध है कि जिसको जितनी अधिक गालियां दिया करता है, समझो उससे उतना ही अधिक प्यार करता है।

अब हम स्वयं ही इनकी? अधिक तारीफ क्या करें। जितनी आवश्यकता थी, कर दी - और हां - हम एक महत्वपूर्ण बात तो बताना ही भूल गए और वह यह कि बागारोफ को छोड़कर बाकी तीनों ही विकास के कट्टर दुश्मन हैं और हर कीमत पर उसकी जान लेना चाहते हैं। इसका कारण ये है कि वे पहले कई बार विकास के हाथ से बुरी तरह मात खा चुके हैं। उन सबका विस्तृत वर्णन पाठक हमारे अन्य अनेक उपन्यासों में पढ़ चुके होंगे।

इस समय चारों महान विभूतियां एक नदी के किनारे बैठी हैं। नदी बहुत चौड़ी है - उसका बहाव भी आश्चर्यजनक गति तक तीव्र है। जल एकदम निर्मल और स्वच्छ है। अभी उनके चारों ओर अंधकार ही है। जेम्स बाण्ड जेब से पेंसिल-टॉर्च निकालकर अपनी कलाई में बंधी औटोमैटिक घड़ी में समय देखता है। सुबह के पांच बजे हैं। माइक आराम से पत्थर पर बैठा हुआ सिगरेट के कश ले रहा है।

''अब प्रकाश होने वाला है।'' जेम्स बांड ने टॉर्च बुझाते हुए कहा।

''अबे तो चोट्टी के, उजाला होने पर तू कौन से बल्लम चला देगा।'' बागारोफ इस प्रकार बोला, मानो जेम्स बाण्ड ने उससे बहुत गलत बात कह दी हो- ''पता नहीं कितनी बार दिन निकला है और कितनी रातों को यहां गुजारा है। उजाला हो या अंधेरा, हमने पत्थरों से सिर टकराने के अतिरिक्त और किया ही क्या है। एक साला वो अलफांसे चमका था - वह भी गधे का सींग बन गया।''

'मतलब ये, चचा, कि प्रकाश होने पर हम कम-से-कम ये तो जान ही जाएंगे कि हमारे चारों तरफ क्या-क्या है।'' माइक ने कहा--''रात के ग्यारह बजे से इस स्थान पर बैठे हैं, लेकिन अभी तक यह भी पता नहीं लगा कि हमारे चारों ओर है क्या।''

'तू क्यों बीच में टांय-टांय कर रहा है बे ऊंटनी के।'' बागारोफ ने कहा--''चारों ओर होगा ही क्या-वही जंगल, पहाड़ - और नदी।''

'संभव है, चचा - हमें कोई बस्ती चमक जाए।'' हुचांग ने सम्भावना व्यक्त की।

'तू तो बोलती पर ढक्कन लगा ले बे चीनी चूहे!'' बागारोफ बोला-''वरना चीन की दीवार पर से नीचे फेंक दूंगा।''

'यहां चीन की दीवार कहां से आएगी, चचा?'' माइक ने मुस्कराते हुए कहा।

'देख बे अमरीकन चमगादड़...।''

बागारोफ अभी कुछ कहना ही चाहता था कि एकाएक उसकी गंजी खोपड़ी पर ऐसी चपत पड़ी कि उसकी आंखों के सामने लाल-पीले तारे नाच गए। अभी उनमें से कोई समझ भी नहीं पाया था कि--

'ओह - यहां तो बड़े-बड़े महानुभाव बैठे हैं!'' एकाएक वातावरण में ऐसी आवाज गूंजी, जैसे फुल पावर से चलता हुआ रेडियो एकाएक खराब हो गया हो--- ''लेकिन चपत मारने के लिए सबसे प्यारी चांद बुजुर्गवार की ही है।''

चारो महान जासूसों के दिमाग एकदम भिन्ना उठे। सबके मस्तिष्क में एक ही नाम गूंजा--टुंबकटू।

 'अबे कौन है भूतनी का?'' बागारोफ एकदम शुतुरमुर्ग की भांति चारों ओर अंधेरे को घूरता हुआ बोला।

'' भूतनी का नहीं बुजुर्ग महोदय-ये हम हैं चटनी के - यानी कि टुम्बकटू।'

''अबे कार्टून!'' बागारोफ बोला--''तू तो मर गया था?''

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