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परशुराम की प्रतीक्षा

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1969
आईएसबीएन :81-85341-13-3

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रामधारी सिंह दिनकर की अठारह कविताओं का संग्रह...

जवानी का झण्डा

घटा फाड़ कर जगमगाता हुआ,
आ गया देख, ज्वाला का वाण;
खड़ा हो, जवानी का झण्डा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान !


(1)
सहम करके चुप हो गये थे समुन्दर
अभी सुनके तेरी दहाड़ ;
जमीं हिल रही थी, जहाँ हिल रहा था,
अभी हिल रहे थे पहाड़।
अभी क्या हुआ, किसके जादू ने आ करके
शेरों की सी दी जुबान?
ओ मेरे देश के नौजवान !

(2)
खड़ा हो कि धौंसे बजा कर जवानी
सुनाने लगी फिर धमार ;
खड़ा हो कि अपने अहंकारियों को
हिमालय रहा है पुकार।
खड़ा हो कि फिर फूँक विष की लगा
धूर्जटी ने बजाया विषाण,
खड़ा हो, जवानी का झण्डा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान !

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