ई-पुस्तकें >> आरोग्य कुंजी आरोग्य कुंजीमहात्मा गाँधी
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गाँधी जी द्वारा स्वास्थ्य पर लिखे गये लेख
३. पानी
शरीरको जिन्दा रखनेके लिरा हवाके बाद दूसरा स्थान पानी का है। हवाके बिना मनुष्य थोड़े क्षण तक जिन्दा रह सकता है और पानीके बिना थोड़े दिन तक। पानी इतना आवश्यक है, इसीलार ईश्वरने १-९-'४२ हमें खूब पानी दिया है। बिना पानी की मरुभूमिमें मनुष्य बस ही नहीं सकता। सहारा के रेगिस्तान जैसे प्रदेशों में बस्ती दिखाई ही नहीं पड़ती।
तन्दुरुस्त रहने के लिए हर एक मनुष्य को चौबीस घंटेमें पांच पौंड पानी या प्रवाही द्रव्यकी आवश्यकता है। पीनेका पानी हमेशा स्वच्छ होना चाहिये। बहुत जगह पानी स्वच्छ नहीं होता। कुएंका पानी पानेमें हमेशा खतरा रहता है। उथले (कम गहरे) कुए औंर वावड़ीका पानी पीनेके लायक नहीं होता। दुखकी बात यह है कि हम देखकर या चखकर हमेशा यह नहीं कह सकते कि कोई पानी पीने लायक है या नहीं। देखने में और चखनेमें जो पानी अच्छा लगता है, वह दरअसल जहरीला हो सकता है। इसलिए अनजाने घर या अनजाने कुंएका पानी न पीनेकी प्रथाका पालन करना अच्छा है। बंगालमें तालाब होते है। उनका पानी अकसर पीनेके लायक नहीं होता। बड़ी नदियों का पानी भी पीने के लायक नहीं होता, खास करके जहां नदी बस्तीके पाससे गुजरना है और जहां उसमें स्टीमर और नावें आया-जाया करती हैं। ऐसा होते हुए भी यह सच्ची बात है कि करोडों मनुष्य इसी प्रकारका पानी पीकर गुज़ारा करते हैं। मगर यह अनुकरण करने जैसी चीज हरगिज़ नहीं है। कुदरत ने मनुष्यको जीवन-शक्ति काफी प्रमाण में न दी होती, तो मनुष्य-जाति अपनी भूलों और अपने अतिरेक के कारण कबकी लोप हो गयी होती। हम यहां पानीका आरोग्यके साथ क्या सम्बन्ध है, इसका विचार कर रहे हैं। जहां पानी की शुद्धताके विषयमें शंका हो, वहाँ पानी को उबाल कर पीना चाहिये। इसका अर्थ यह दुआ कि मनुष्यको अपने पीनेका पानी साथ लेकर घूमना चाहिये। असंख्य लोग धर्म के नाम पर मुसाफ़िरीमें पानी नहीं पीते। अज्ञानी लोग जो चीज़ धर्म के नाम पर करते हैं, आरोग्यके नियमोंको जाननेवाले वही चीज आरोग्य के खातिर क्यों न करें? पानी को, छानने का रिवाज तारीफ़ करने लायक है। इससे पानीमें रहा कचरा निकल जाता है, लेकिन पानी में रहे सूक्ष्म जन्तु नहीं निकलते। उनका नाश करनेके लिए पानीको उबालना ही चाहिये। छाननेका कपड़ा हमेशा साफ़ होना चाहिये। उसमें छेद न होने चाहिये।
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