आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
समितियों यह कार्य हाथ में लें
कुछ दिन बाद यह प्रथा देशव्यापी हो जायगी तब तो उसका प्रचलन अपने आप हो जायगा और सारी व्यवस्था अपने ढर्रे पर घूमने लगेगी। पर अभी उसको एक संगठित प्रयास के रूप में ही आरम्भ किया जाना चाहिए। युग निर्माण आन्दोलन के अन्तर्गत जहाँ भी छोटे-छोटे संगठन हैं, वहाँ सर्वत्र एक, तीन या पाँच व्यक्तियों की छोटी समिति गठित कर ली जाय। उसका एक संचालक नियुक्त कर लिया जाय। यह समिति अपने परिवार एवं संगठन के सदस्यों के जन्मदिन मनाने की व्यवस्था बनाने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर उठावे।
संगठन के अन्तर्गत जितने वयस्क एवं प्रबुद्ध लोग आते हों उनकी जन्म तिथियाँ तारीख या तिथि के हिसाब में नोट कर ली जायें और चालू वर्ष का एक कार्यक्रम बना लिया जाय कि किस महीने में किस तारीख को किस का जन्मदिन होगा। तिथियों का हर साल तारीखों के हिसाब से अन्तर हो जाता है, इसलिए यह लिस्ट हर साल नई ही बनानी पड़ा करेगी। यह लिस्ट संगठन के हर सदस्य के पास पहुँचा दी जाय ताकि उसे पहले से ही पता रहे कि किसके यहाँ उत्सव कव मनाया जायगा। पूर्व सूचना रहने से उपस्थित होने के लिए अवकाश निकाल सकना सुगम पड़ता है।
जिनका जन्मोत्सव है वह अपने मित्रों, सम्बन्धियों, कुटुम्बियों, सुहृदों को भी सूचना और निमन्त्रण दें। इस प्रकार शाखा सदस्यों के अतिरिक्त निजी सम्बन्ध के व्यक्ति भी उस अवसर पर उपस्थित होगे। यह उपस्थिति जितनी अधिक होगी आयोजन उतना ही आकर्षक, प्रभावशाली एवं प्रेरणाप्रद बन जायगा। उपस्थित लोग भी प्रेरणा ग्रहण करेगे। इस प्रकार यह उत्सव एक व्यक्ति के लिए ही नहीं वरन् उपस्थित सभी लोगों के लिए प्रेरणा एवं प्रकाश देने वाला बन जायगा। किसी शाखा संगठन में 20 सदस्य हों, हर एक के जन्मदिन पर ५०-५० की औसत उपस्थिति हो तो वर्ष भर में एक हजार व्यक्तियों तक जीवन-निर्माण की कला एवं शिक्षा को इन उत्सवों के माध्यम से पहुँचाया जाना सम्भव हो सकेगा। संगठन का भी विस्तार होगा क्योंकि जो नये लोग उपस्थित होगे उनमें से बहुत से प्रभावित होकर संगठन में सम्मिलित होगे। उनके भी जन्मदिन मनाये जायेगे, तो फिर और नये आदमी उसमें आयेंगे। इस प्रकार से हर आयोजन कुछ नये लोगों को नव-निर्माण की रााएजना से आकर्षित, प्रोत्साहित एवं सम्मिलित करता चलेगा। मिशन दिन-दिन व्यापक एवं परिपुष्ट होता चलेगा। संगठन ही तो इस युग की सबसे बड़ी शक्ति है। युग परिवर्तन जैसे महान अभियान के लिए तो प्रबुद्ध व्यक्तियों का व्यापक संगठन बनाना ही पड़ेगा। इस प्रयोजन की पूर्ति के लिए भी इन उत्सवों का बहुत बड़ा उपयोग है।
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