लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी

जागो शक्तिस्वरूपा नारी

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15496
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

नारी जागरण हेतु अभियान

नर-नारी एक समान


नर और नारी परमेश्वर के दो हाथ, दो पैर, दो नेत्र, दो कान, दो फेफड़े, दो गुर्दे हैं। न इनमें से कोई छोटा है, न बड़ा। गाड़ी के दो पहियों की तरह, वे एक दूसरे के पूरक हैं। वरिष्ठता की बात सोची जाय, तो वह नारी को ही अधिक गरिमामयी बनाती है; क्योंकि वंश को गतिशील बनाये रखने का भार वह विशेष रूप से वहन करती है। सेवा और भाव संवेदना की दृष्टि से उसी का पलड़ा भारी पड़ता है। फिर कोई कारण नहीं कि उसे प्रगति पथ पर चलने से रोका जाय।

'अंधेर नगरी बेबूझ राजा' की उक्ति अब तक चलती रही, पर अब महाकाल ने न्याय की तुला की डण्डी सीधी कर ली है और फैसला किया है कि "नर-नारी एक समान'' वाला शाश्वत सिद्धान्त अब पूरी तरह चरितार्थ होकर रहेगा। दोनों में से न किसी को दास रहने दिया जाएगा और न स्वामी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book