आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
समर्पण और त्याग की प्रतिमा
नारी समर्पण और त्याग की प्रतिमा है। यह समर्पण उसकी दुर्बलता नहीं, गरिमा है। जातीय पतन के दौर में उच्च आदर्शों को विकृत रूप दे दिया गया। समर्पण की व्याख्या स्वार्थी मनुष्यों ने इस प्रकार की कि भारतीय नारी के इस उच्च आदर्श को चरण दासी बनने के रूप में ढाल दिया, पर अब ऐसी धूर्ततापूर्ण चालबाजियों और शाब्दिक मायाजाल का युग नहीं रहा। अतः अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि पुरुष के प्रति नारी का समर्पण अंधा और अविवेकपूर्ण नहीं होना चाहिए।
प्रत्येक पुरुष न तो ईश्वर है और न देवदूत। श्रेष्ठता के लिए उसे प्रयास करना होगा। समर्पण कोई विवशता नहीं, व्यक्तित्व की उत्कृष्टता है। अतः वह पुरुष के लिए भी साध्य और इष्ट होनी चाहिए।
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