आचार्य श्रीराम शर्मा >> जगाओ अपनी अखण्डशक्ति जगाओ अपनी अखण्डशक्तिश्रीराम शर्मा आचार्य
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जगाओ अपनी अखण्डशक्ति
3. भगवद्गीता के श्लोक
A. गीता माहात्म्य :
1. प्रारब्धं भुज्य मानोहि गीताभ्यासरतः सदा।
स मुक्तः स सुखी लोके कर्मणानोपलिप्यते।।
2. गीतार्थंध्यायते नित्यं कृत्वाकर्माणि भूरिषः।
जीवंमुक्ता स विज्ञेयो देहान्ते परम पदम्।।
3. गीता, गंगा, च गायत्री, सीता, सत्या, सरस्वती।
ब्रह्मविद्या, ब्रह्मवल्ली, त्रिसन्ध्या मुक्तिगेहिनी।
अर्द्धमात्रा, चिदानन्दा, भवह्नी, भयनाशिनी।
वेदत्रयी, परानन्ता तत्वार्थ ज्ञान मंजरी।
इत्येतानि जपे नित्यं नरो निश्चल मानषः।
ज्ञानसिद्धिं लभेत्शीघ्रं तथान्ते परमं परम्।
B. गीता श्लोक (अध्याय-श्लोक)
1. हतो वा प्राप्यसि स्वर्गं, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम।
तस्मादुत्तिष्ठ कौंतेय युद्धाय कृत निश्चयः।।
(द्वितीय अध्याय - 37)
2. सुख दुखे समे कृत्वा लाभा-लाभौ जया-जयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पाएं वाप्स्यासि।।
(द्वितीय अध्याय - ३8)
3. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्।
मा कर्मफलहेतुर्भूमा ते संगोऽस्तिकर्मीताः।।
(द्वितीय अध्याय - 47)
4. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न, चैनं 'क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
(द्वितीय अध्याय - 23)
5. वासान्सि जीर्णानि यथा विहाय,
नवानि ग्रहणाति नरोपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा,
निन्यानि संयाति नवानि देही।।
(द्वितीय अध्याय - 22)
6. अभयं, सत्व, सभुद्धिर्ज्ञान, योग, व्यवस्थितिः।
दानं, दमश्च. यज्ञश्च, स्वाध्याय, स्तप, आर्जवम्।।
(सोलहवां अध्याय -।)
7. ब्रम्हार्पणं ब्रह्महविर्ब्रम्हाग्नौ ब्रह्मनाहुतम्।
ब्रम्हैव तेन गन्तव्यं ब्रम्हकर्म समाधिनः।।
(चतुर्थ अध्याय - 24)
8. ये यथा मा प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मुम वर्तमान्वर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वषः।।
(चतुर्थ अध्याय - ११)
9. अनन्याश्चिंतयतो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्या भियुक्तानां योगक्षेम वहाम्यहम्।।
(नवम अध्याय - 22)
10. सर्वधर्मांपरित्र्यज्य मा मेकं शरणं ब्रज।
अहंत्वा सर्व पापेभ्यो मोक्षैस्यामि मा शुचः।।
(अठारहवाँ अध्या - 66)
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