लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15484
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन

खेचरी


बंध एवं मुद्राएँ योग साधना में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मस्तक के मध्यबिंदु त्रिकुटी में एक आध्यात्मिक अमृत कलश रहता है। जिह्वा को उलटकर तालुमूल में लगाने और अन्य नियमों के साथ उस अमृत कलश का बिंदुपान करने की विधि खेचरी मुद्रा कहलाती है। इसका विस्तृत विधान योग-ग्रंथों में मौजूद है तथा अनुभवी गुरुओं से सीखा जा सकता है। २४ मुद्राओं में खेचरी को अधिक फलप्रद माना गया है, वह गायत्री स्वरूप ही है। गायत्री साधक प्राय: उसे ही करते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book