आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
औपासनफलप्रदा
जिस प्रकार वर्षा, धूप आदि बिना बुलाए, बिना आमंत्रित किए चाहे जहाँ जा पहुँचते हैं और माँगने, न माँगने पर भी अपना प्रसाद हर किसी को प्रदान करते हैं, यह बात गायत्री में नहीं है। वह केवल उसे ही फल देती है, जो उसकी उपासना करता है। साथ ही उपासना के परिणाम के अनुसार फल देती है। बछड़ा जब दूध पीने का उपक्रम करता है, तभी उसे गाय पिलाती है। यदि वह न पीना चाहे तो उसे दूध नहीं मिल सकता। फिर जितनी देर जितनी तीव्र या मंद गति से वह दूध पीता है उसी मात्रा में उसे उपलब्ध होता है। गाय बछड़े को दूध पिलाना चाहती है, पिलाती भी है, पर उसकी मर्यादा उतनी ही होती है जितना बछड़े का प्रयत्न। ठीक यही बात गायत्री के संबंध में भी है। वह उपासना के अनुपात से ही फलप्रद है। अनायास हर कोई बिना प्रयत्न के ही लाभ कर सके ऐसी छूट इस साधना में नहीं है।
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