आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
ओतप्रोतनिवासिनी
यों मंदिर-देवालयों में, वेदी-चौकियों में, प्रतिमाओं तथा चित्रों में, अग्नियों में, वेद मंत्रों एवं भावना सूत्रों से आह्वान करके गायत्री शक्ति को विशेष स्थानों पर स्थापित किया जाता है और वहाँ उसकी पूजा-अर्चा भी होती है। उपासना विज्ञान की दृष्टि से आवश्यक भी है। पर ऐसा न समझना चाहिए कि वह इसी स्थिति तक सीमित है। या कहीं किसी लोक विशेष में निवास करती है। उसकी सत्ता सर्वत्र समाई हुई है। प्रत्येक पदार्थ में तथा प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण में वह ओत-प्रोत है। वह सर्वत्र है, कोई स्थान ऐसा नहीं जहाँ वह न हो। भावना द्वारा उसे कहीं भी प्रकट किया जा सकता है।
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