लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15484
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन

इड़ापिंगलारूपिणी


ब्रह्मरंध्र से लेकर कुंडलिनी तक, सहस्रार-कमल से लेकर मूलाधार तक ब्रह्मनाड़ी में होकर दो विद्युत् शक्ति प्रवाह निरंतर बहते रहते हैं। इसमें से एक ऋण (नेगेटिव) है और दूसरी धन (पोजेटिव) है। इन्हें सूर्य शक्ति और चंद्र शक्ति भी कहते हैं। योग की भाषा में इनका नाम इड़ा और पिंगला है। यह दाँये-बाँये नासिका स्वरों के साथ प्रवाहित होती हैं। जैसे बिजली से चलने वाले सारे यंत्र दो प्रकार के ठंढे और गरम तारों के मिलने पर ही अपनी सक्रियता बनाए रखने में समर्थ होते हैं, उसी प्रकार मनुष्य का शारीरिक और मानसिक संस्थान भी इन दोनों इड़ा-पिंगला नाड़ियों पर अवस्थित है। यह दोनों प्रवाह गायत्री के ही और विलोमरू हैं। इसिलए से इता-गिता क्षण कहा गया है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai