आचार्य श्रीराम शर्मा >> बिना मोल आफत दुर्व्यसन बिना मोल आफत दुर्व्यसनश्रीराम शर्मा आचार्य
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दुर्व्यसनों की समस्या
अमीरी
पिछले दिनों अनैतिक मार्ग अपनाने वाले–अमीरी इकझै कर लेने वाले इज्जत आबरू वाले बड़े आदमी माने जाते रहे होंगे, पर अब वे दिन लद चुके। दौलत अब बेइज्जती की निशानी बनती चली जा रही है। लोग सोचते हैं, यह औंधे मार्ग अपनाने वाला आदमी है। यदि सीधे मार्ग से कमाता है तो भी ईमानदारी का तकाजा है कि देशवासियों के औसत वर्ग की तरह जिये और बचत को लोकमंगल के लिए लौटा दे।यदि ऐसा नहीं किया जाता और बढ़ी हुई कमाई को ऐय्याशी में, बड़प्पन के अहंकारी प्रदर्शन में खर्च किया जाता है, अथवा बेटे-पोतों के लिए जोड़ा-जमा किया जाता है, तो ऐसा कर्तव्य विचारशीलता की कसौटी पर अवांछनीय ही माना जाएगा।
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