आचार्य श्रीराम शर्मा >> बिना मोल आफत दुर्व्यसन बिना मोल आफत दुर्व्यसनश्रीराम शर्मा आचार्य
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दुर्व्यसनों की समस्या
सट्टा, जुआ, लाटरी
सट्टा, जुआ, लाटरी द्वारा कमाई गई आमदनी भी चोरी-डकैती की तरह अनैतिक ही है।
हराम का धन पाने और उसके सुखोपभोग की आकांक्षा न तो नैतिक है और न प्रकृतिपरम्पराओं के अनुरूप। इस दिशा में जिसने प्रयास किया, उसे निराशा-पश्चाताप और खीझ के सिवाय और कुछ हाथ नहीं लगा।
फलता-फूलता वही धन है, जो परिश्रम और ईमानदारी के साथ कमाया जाए। स्थिरता और सत्परिणाम उत्पन्न करने की क्षमता भी उसी में होती है।
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