आचार्य श्रीराम शर्मा >> बिना मोल आफत दुर्व्यसन बिना मोल आफत दुर्व्यसनश्रीराम शर्मा आचार्य
|
0 5 पाठक हैं |
दुर्व्यसनों की समस्या
गंदे साहित्य पठन
अशील और गंदा विषय-भोग संबंधी साहित्य वैसा ही घातक है, जैसा भले-चंगे व्यक्ति के लिए विष। नयी उमर में जब मनुष्य को जीवन और जगत् का अनुभव नहीं होता, वह अशीलता की ओर प्रवृत्त रहता है। यौवन के उन्माद की आँधी में गंदा साहित्य सोयी हुई काम वृत्तियों को कच्ची आयु में उद्दीप्त कर देता है। आज जिधर देखो उधर उत्तेजक चित्र, वासना संबंधी हलके प्रेम की कहानियाँ, अशील उपन्यास, विज्ञापन इत्यादि छप रहे हैं। गंदे साहित्य उपन्यास इत्यादि नीति धर्म का शत्रु है। यह पशुत्व की अभिवृद्धि करता है। समाज में इससे आध्यात्मिकता का लेश भी न रहने पायेगा।
|