नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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कर ले तू भी सितमगरी कर ले
कर ले तू भी सितमगरी कर ले
हम फ़कीरों से मसखरी कर ले
खोलकर याद के दरीचों को
जून भी हो तो जनवरी कर ले
गुमरही में अभी कसर है कुछ
और कुछ देर रहबरी कर ले
भूल जा तू भी, मैं भी सब भूलूँ
आ तबीयत हरी-भरी कर ले
सब पे होती नहीं अता उसकी
वरना हर कोई शायरी कर ले
दूसरों की खुशी से हर कोई
चाहता है बराबरी कर ले
दिल के इस क़ीमती नगीने की
जिसका जी चाहे तस्करी कर ले
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