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रौशनी महकती है

सत्य प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15468
आईएसबीएन :978-1-61301-551-3

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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह


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ज़िन्दगी को ये सजावट तुमने दी


ज़िन्दगी को ये सजावट तुमने दी
लब थे मेरे, मुस्कराहट तुमने दी

हम जो तपती रेत पर चलते रहे
हौसलों को ये तरावट तुमने दी

सारे आलम पर तुम्हारा फ़ैज़ है
हर तरफ़ से अपनी आहट तुमने दी

हम हों, भँवरे हों, कि हो मुतरिब कोई
सबको अपनी गुनगुनाहट तुमने दी

अब अंधेरे भी उजाले बन गए
क़ल्ब को वो जगमगाहट तुमने दी

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