| नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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कोई रौनक हँसी में है ही नहीं
 कोई रौनक हँसी में है ही नहीं
 साफ़ पानी नदी में है ही नहीं
 
 आपसे झूठ बोल सकती हो
 ये सिफ़त शायरी में है ही नहीं
 
 जिसका दम भर रहा है अरसे से
 वो तेरी ज़िन्दगी में है ही नहीं
 
 करके एहसान भूलते थे लोग
 अब ये जज़्बा किसी में है ही नहीं
 
 खींच लाए सुक़ून की राधा
 अब वो धुन बाँसुरी में है ही नहीं
 
 यार! अब ढूँढने किधर जाएँ
 ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में है ही नहीं
 
 उनसे मिलने की चाह रखते हैं
 और कुछ अपने जी में है ही नहीं
 
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