नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
49
क़ातिलों में ज़मीर ढूंढेंगे
क़ातिलों में ज़मीर ढूंढेंगे
क्या महल में कबीर ढूंढेंगे
प्यार की झील नूर के चश्मे
कब तलक राहगीर ढूंढेंगे
खेल ऐसा भी एक दिन होगा
सारे पैदल वज़ीर ढूंढेंगे
जाँ पे बन आयेगी मेरी तब तक
जब तलक आप तीर ढूंढेंगे
मुफ़लिसी का सबब भी अब शायद
मुल्क के कुछ अमीर ढूंढेंगे
0 0 0
|
लोगों की राय
No reviews for this book