नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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दर्द दबा कर खुश रहते हो
दर्द दबा कर खुश रहते हो
क्या तुम भी मेरे जैसे हो
बुत की परस्तिश ठीक नहीं है
बुत से क्या कहते रहते हो
ये जीना भी क्या जीना है
आये दिन मरते रहते हो
जिसके सिरे गुम हैं गर्दिश में
तुम वो अधूरे से क़िस्से हो
चारों तरफ़ है इतनी कालिख
तुम इतने उजले कैसे हो
खाली जेब वफ़ा की हसरत
क्या सपने देखा करते हो
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