नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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जब हक़ीक़त ज़बाँ से निकलेगी
जब हक़ीक़त ज़बाँ से निकलेगी
आँच तर्ज़े-बयाँ से निकलेगी
देखना है कि दिल के ज़िन्दां से
कोई हसरत कहाँ से निकलेगी
ज़ुल्मतों के हैं सिलसिले तो क्या
रौशनी भी यहाँ से निकलेगी
जिस पे ग़ज़लों का आशियाँ होगा
वो ज़मीं आसमां से निकलेगी
मुतरिबों-सी लगेगी ये बदली
गुनगुनाती जहाँ से निकलेगी
इश्क़ ही जू-ए-शीर लायेगा
ये कहाँ नातवाँ से निकलेगी
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